गुरुवार, 24 दिसंबर 2009
रविवार, 13 सितंबर 2009
गलतफहमी में
हम मिलते हैं....
बात करते हैं.....
लेकिन नहीं होता
जब कभी
हमारे पास
बोलने के लिए कुछ
(हालांकि कमी नहीं है हमारे पास शब्द भावनाओं की)
और पसरने लगती है खामोशी
हमारे दरम्यान
तो भागने लगते हैं हम
एक-दूसरे से
भागना जो नहीं चाहते
एहसास में भी
और खामोशी
एहसास कराती है
एक दूरी का
हमारे बीच......
वास्तव में बैठ गया है
एक डर हममें
कुंडली मारकर
जो न बोलने देता है
और न ही
रहने देता है चुप....
कि कहीं खो न दें हम
किसी गलतफहमी में
एक-दूसरे को।
शुक्रवार, 11 सितंबर 2009
खास
जूझ रहा था
जब कोई
जिन्दगी और मौत से
तुब मैं
अपने आप से
देखकर बेचैनी मेरी
किसी और ने पूंछा मुझसे
क्या कोई ख़ास है
मैं चुप रहीं
बताना जो नहीं चाहती थीं उसे
आम कोई होता ही नही
मेरे लिए ................. ।
शनिवार, 5 सितंबर 2009
मोह
मोह बहुत करती हूं मैं
निर्मोही भी कम नहीं हूं लेकिन
हर उससे मोह है मोह की हद तक
जिंदा है इंसानियत जिनके अंदर
वहीं दूसरी ओर
पल भर में
खत्म हो जाते हैं सारे मोह
उसके प्रति
दिखा नहीं पाता जो
सहज मानवता भी
फिर भले ही दुनियां ने
बांध दिया हो मुझे उससे
किसी भी रिश्ते से
मोह नहीं बांध पाता मुझे.......।
शुक्रवार, 4 सितंबर 2009
मेरी diary से
1.कुछ लोग दूसरों से कुछ भी लेने में घबराते हैं, क्योंिक िकसी को कुछ दे सकें इतना बड़ा िदल उनका होता नहीं।
2. हर िकसी का अपना भाग्य होता है इसलिए न तो अपने भाग्य को कोसो और न िकसी और के भाग्य से ईष्यार् करो।
3. परिवर्तन समय का मोहताज नहीं होता है, यह हो सकता है िक जो चीज बरसों न बदली हो वह एक पल में बदल जाए।
4. हम अपरिचितों से नहीं, अपने परिचितों से डरते हैं।
5. जो चुकाता रहता है ......चुकाता रहता है उसे भी कभी तो कुछ न कुछ जरुर िमलता होगा।
६.मित्र बनिए, न संरक्षक न उपदेशक न ही कुछ और क्योंकि एेसा करके आप दे पाएंगे संरक्षण, सुनी जाएगी आपकी हर बात और जुड़ा महसूस करेंगे लोग आपसे उस समय भी जब अलग-थलग पाएंगे वे खुद से ही खुद को।
७.जब हम जिंदगी में एेसा उद्देश्य लेकर चलते हैं जिसे और लोग भी पाना चाहते हैं तो प्रतिस्पर्द्धा के कारण उद्देश्य प्राप्ति कठिन होती है लेकिन जब बिलकुल अलग उद्देश्य बनाते हैं जिंदगी का तो भी उसे प्राप्त करना कठिन होता है क्योंकि तब लोग हमारे उद्देश्य के साथ ही साथ हमें भी शक की नजर से देखते हैं।
गुरुवार, 3 सितंबर 2009
हार
हारना-
अलग-अलग होता है
हर इंसान का
कोई हारता है कुछ
कोई कुछ
तो कोई हार जाता है
हार के साथ ही
अपना सबकुछ
मैं.....।
इन्हीं हारने वालों में हूं।
रविवार, 30 अगस्त 2009
दुनिया मेरी
छोटी सी है
कई मायनों में
फिर भी
लोगों से बड़ी ........
नहीं निर्धारित होती
अपनों की सीमा
यहाँ रिश्तों से
वह हर कोई
अपना है यहाँ
नहीं लगता जो पराया
खुश रहने के मौके
अपेक्षाकृत ज्यादा है यहाँ
खुशियों के मायने
निहित जो राते हैं
अपनी हार
और दूसरों की जीत में ।
नहीं झरते
आंसू यहाँ
ख़ुद के दर्द से
बहती रहती है
अश्रुओं की अविरल धारा
देखकर मायूसी
औरों की आंखों की
नहीं होता जीवन का
कोई एक ध्येय यहाँ
पूरा होने पर
एक के
शुरू हो जाती है जद्दोजहद
दूसरे के लिए
इसलिए छोटा होकर भी
बड़ा लगता है
जीवन यहाँ .......
आरती "आस्था "
रविवार, 9 अगस्त 2009
मेरी diary से
३१.०७.२००९
जिन्दगी चाहे कितनी मुस्किल क्यों न हो उसे जीना ही पड़ता है।
०३.०८.२००९
हम बहुत बार चुप रहते हैं बहुत कुछ बोलने के लिए ........ बहुत बार चुप्पी के माध्यम से और बहुत बार भविष्य में एकमुश्त बोलने के लिए.
गुरुवार, 23 अप्रैल 2009
मेरी diary के पन्ने से
७.०३.२००९
किसी का प्यार संभलने में जितनी मदद करता है उससे ज्यादा नफरत लेकिन हाँ नफरत भी उसी की होनी चाहिए जिसके प्यार ने उसे तोडा हो ।
१६.०३.२००९
किसी का भी छोटा मोटा गुनाह कोई भी माफ़ कर देता है लेकिन गुनाह जब हद पार कर जाता है तो कम से कम अच्छा ........ सच्चा और ज्यादातर सहनशीलता दिखानेवाला इंसान बुरी तरह से रिअक्ट जरूर करता है ।
१२.०४.२००९
यह सही है कि दुनिया में अच्छे लोग कम रह गए है ....... कम होते हैं लेकिन जो अच्छे होते हैं वह इतने ज्यादा अच्छे होते हैं कि उनकी अच्छे पर सहज यकीं ही नहीं करता कोई .
बुधवार, 22 अप्रैल 2009
सचमुच में बड़ी

शनिवार, 18 अप्रैल 2009
शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009
सोचना
गुरुवार, 16 अप्रैल 2009
सपनो की तलाश
बुधवार, 1 अप्रैल 2009
खुश रहने का नुस्खा
जो न हो तुम्हें मिली
लेकिन जिसके मिलने पर
तुम्हारा खुश होना हो लाजमी
मान लिया करो
तुम्हें है मिल गई
bilkul वैसे ही
जैसे तार्किक प्रश्नों को हल करते समय
हम मान लेते हैं
'नहीं है' बराबर 'है' .
मंगलवार, 31 मार्च 2009
सोमवार, 16 मार्च 2009
शिकायत
शनिवार, 14 मार्च 2009
खुशी
१३.०२.२००९
बहुत से डर हकीकत हो जाते हैं सही है लेकिन बहुत सी हकीकतें ऐसी होती हैं जिहें लोग डर समझने की भूल कर बैठते हैं l
१७.०२.२००९
किसी को जब भी कुछ दो तो पूरे दिल से दो, नहीं तो वह चीज उसे खुशी तो नहीं ही देगी हां जब जब वह उसे देखेगा एक कसक टीस बनकर उसके अन्दर जरूर उठेगी .
१८.०२.२००९
खामोशी की आवाज़ तो बहुत लोग सुन लेते है लेकिन उसके सही-सही निहितार्थ शायद ही कोई समझ पाता है l
२४.०२.२००९
किसी चीज की कीमत इससे नहीं तय होती है की बेचने वाला उसे किस कीमत में बेच रहा है बल्कि इससे तय होती है कि खरीदने वाला उसे किस कीमत में खरीद रहा है l
शुक्रवार, 13 मार्च 2009
बुधवार, 11 मार्च 2009
शुक्रवार, 6 मार्च 2009
चाभी

जैसे तालों को खोलने के लिए
होती हैं चाभियाँ
काश वैसे ही होती चाभियाँ
परत-दर-परत चेहरों को खोलने के लिए भी
तब सहज होती
अपने-पराये की पहचान
तब न कदम-कदम पर
छले जाते हम
और न दोष देते किस्मत को .............|
रविवार, 1 मार्च 2009
इबारत
गुरुवार, 19 फ़रवरी 2009
शनिवार, 31 जनवरी 2009
यथार्थ.......
तुमने कहा
कष्ट में इंसान
कुछ भी कह जाता है
मै समझ गई की
की मैंने कुछ ग़लत कह दिया है
तब मैंने कहा
लेकिन कष्ट मे इन्सान
बहुत बार
चुप भी तो रह जाता है
ये सुनकर
तुम चुप हो गये
अब मैं क्या समझू?
शनिवार, 10 जनवरी 2009
आरती "आस्था"

तुम कहते हो कि
हर किसी की
प्रार्थना के दौरान
जलना पड़ता है तुम्हे
और हर बार ही
होता है तुम्हारा अवमूल्यन
क्योकि प्रार्थना की
स्वीकृति के साथ ही
ख़त्म हो जाता है
तुम्हारा महत्व...................
तुम्हारा अस्तित्व..............
जबकि सच यह है कि
कभी नही होता खत्म
मेरा अस्तित्व
क्योकि औरो से इतर
अनवरत चलने वाली है
मेरी अपनी प्रार्थना
जिसमे शामिल है
हर किसी की
अनसुनी प्रार्थना
और जिसे कहते हो
तुम अवमूल्यन मेरा
उसे मैं मूल्यवर्धन
क्योकि हर बार
प्रार्थना की स्वीकृति के साथ ही
बढ़ जाता है
मेरा मूल्य
मेरी अपनी नजरो मे ....................!
लिखावट.....

और अब एहसास .................
और अब एहसास .................
१८.०९.२००७
यह सही है कि हर किसी को उसकी पात्रतानुसार ही मिलता है ,मिलना भी चाहिये. लेकिन प्यार देने के लिए पात्रता का ध्यान नहीं रखा जाना चाहिये | हो सकता है आपका प्यार उसे पात्र बना दे |
२८.१०.२००७
जिंदगी इम्तहान नहीं केवल इम्तहान लेती है और अगर आपके अन्दर सफल होने के लिए अपेक्षित जुझारूपन, धैर्य और समझ नही है तो पक्का मानिये आप खोएंगे और इस हद तक खोएंगे कि एक दिन आपके पास खोने के लिए भी कुछ नहीं बचेगा |
०८.११.२००७
यथार्थ से यथार्थवादी इंसान किसी न किसी से कहीं न कहीं भावनात्मक रूप से जुदा जरूर होता है |
२९.११.२००७
हमारे बहुत से निर्णय हमारी मन:स्थिति पर निर्भर करते हैं |
२८.०७.२००८
जिसकी जिंदगी में आप कोई महत्व नहीं रखते वह भी आपकी उपेक्षा से आहत होता है |
०१.१२.२००८
कोई भी दो इंसान एक- दुसरे के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण नहीं हो सकते |
११.१२.२००८
जब अन्दर शान्ति होती है तो बहार शोर अच्छा नहीं लगता है | और जब अन्दर शोर होता है तो बहार कि शान्ति झेलना बहुत मुश्किल हो जाता है |
१७.१२.२००८
जिदगी के सच के सामने दुनिया के सारे सच बेमानी होते हैं |
१८.१२.२००८
बहुत बार वाही लोग हमें बिल्कुल नहीं समझते जो बहुत ज्यादा समझते हैं |
२०.१२.२००८
कभी - कभी इन्सान कुछ लोगों से दूर इसलिए भागता है क्योंकि वह नहीं आना चाहता है अपने ही करीब |
२३.१२.२००८
किसी की इतनी ज्यादा परवाह न करो कि उसे तुम्हारे सही होने पर शक होने लगे |
३०.१२.२००८
विश्वास किसी भी रिश्ते के लिए जरूरी होता है , सही है लेकिन इस विश्वास की जरूरत दिल के रिश्ते में ज्यादा होती है बनिस्पत खून के रिश्ते के |
३०.१२.२००८
कितनी अजीब होती है वह स्थिति जब कोई इंसान एक ही समय रोना और हँसना दोनों चाहे | वैसे कितनी ही अजीब क्यों न हो यह स्थिति जिन्दगी में आती कई बार है |
समझदारी वास्तव में .बेवकूफी के सिवाय कुछ और नहीं है क्योंकि यदि आप समझ्दार (बेवकूफ) हैं तो आप ऐसे बहुत से कार्य नहीं करेंगे यहाँ तक कि सोच के स्तर पर भी जिनसे आपको खुशी मिल सकती है और दूसरे को बहुत ज्यादा कष्ट भी नहीं होगा |
२१.०१.२००९
बहुत बार चीजें टूटती- बिखरती हैं केवल इसलिए कि और मजबूती से जुड़ सकें ........ इसलिए कि कुछ चीजें ग़लत जगह ...... ग़लत तरह से जुड़ गई होती हैं और हमने उन्हें ही सही मान लिया होता है ........ भगवान चाहता है कि उन गलतियों को भी सुधार लें हम ............ वह हमें एक अवसर देता है चीजों को तोड़-बिखराकर ......... उस अवसर को खोना नहीं चाहिए हमें |
२३.०१.२००९
जहाँ से हम भाग जाना चाहते हैं वहां हमें कोई (अद्रश्य शक्ति ?) रोक लेती है और जहाँ ठहर जाना चाहते हैं , वहां से हमें जाना ही पड़ता है |
२४.०१.२००९
विलुप्तप्राय: चीजें विलुप्तप्राय: लोगों को मिलती रहती हैं |
२५.०१.२००९
लोग शब्दों पर ध्यान देते हैं भावनाओं पर नहीं |
२६.०१.२००९
इन्सान की पहचान इतनी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है कि वह इसके लिए बड़ी से बड़ी कीमत चुकाने के लिए तत्पर रहता है | यूँ ही किसी रोज यह सही है कि एक समझदार व्यक्ति हर किसी से एक निश्चित दूरी बनाकर चलता है लेकिन इस दूरी का विस्तार उन व्यक्तियों के बीच ज्यादा होता है जिनमें पूर्व में कभी घनिष्टता रही होती है | .
-व्यस्तता ! कितना उपयुक्त शब्द है दूसरों की उपेक्षा करने का और वह भी बिना किसी शिकायत का मौका दिए |
- जिंदगी अक्सर हमें वह सिखाती है जो हमारे लिए जरूरी होता है न कि वह जो हम जरूरी समझते हैं |
- बहुत से इन्सान उस चीज का विरोध करते हैं जिसका वास्तव में वह विरोध नहीं करना चाहते हैं ऐसा करना का कारण कुछ और नहीं उनका वह होने की दिशा में बढाया गया पहला कदम होता है जो वह होना चाहते हैं लेकिन होते नहीं |
- जो बहुत मजबूत होता है वही रेजा- रेजा टूटकर बिखरता भी है |
- हमारे साथ अच्छा - बुरा जो भी होता है वह महज भूमिका होती है हमारे वह बनने की जो कि ईश्वर हमें बनाना चाहता है, हमारे वहां पहुँचने की जहाँ कि ईश्वर हमें पहुँचाना चाहता है |
- अक़्सर जिन्दगी में सब कुछ होता है सिवाय जिन्दगी के |
- गुनाह करके सजा पाना और बिना गुनाह के सजा पाने में मूलभूत अन्तर यह होता है कि पहली स्थिति में केवल एक बार सजा मिलती है और जिसको कष्ट पहुँचता है उसकी ओर से मिलती है | लेकिन दूसरी स्थिति में हम बार-बार सजा पाते हैं और वो भी अपने आप से | हाँ , वह एक टीस..... कसक .......... जो मन में रह जाती है हमेशा के लिए जब-तब सिर उठाकर परेशान करती रहती है हमें कहकर कि कितना अच्छा होता कि वह गुनाह हमने कर लिया होता ..........| सोच के स्तर पर भी जब हमने अपशब्द न किया हो ( कार्यरूप में परिणति तो दूर कि बात ) तब भी हमें सजा मिले .......... मिलती है ..... ऐसे में अच्छा तो यही है कि हम जी भरकर जियें ........जीभरकर गलतियाँ करें........वैसे भी कहा तो जाता ही है ' टु एर्रोर इज ह्यूमन ' एक बात और उनसे कोई गलती नहीं होती जो कोई काम नहीं करते, लेकिन आपको क्या लगता है - ऐसे लोग वास्तव में कोई गलती नहीं करते ? जी हाँ , वे कुछ न करके इतनी बड़ी गलती करते हैं कि दूसरी किसी गलती को मौका ही नहीं देते ...........| कोई दूसरी गलती उनके सामने टिकती ही नहीं है| यह जरूर है कि कुछ गलतियाँ ऐसी होती है जिनकी सजा यदि इन्सान को जीवन भर दी जाए तो भी कम है ........|
- "खोना नहीं चाहती तुम्हें इसलिए नहीं की कभी कोशिश पाने की भी क्योंकि यदि पा लिया तो खोना तय है |"