मेरे अपनों ने मुझे इस काबिल नहीं बनने दिया की मै कोई लड़ाई लड़ सकू ।शायद एहसास था उन्हें की मेरी सबसे पहली और बड़ी लड़ाई उन्ही से होनी है ----उनके ही खिलाफ है ।
जिन्दगी को अगर चेतन होकर जिया जाये तो हर पल एक कविता बनती है। लेकिन जिन्दगी अपने आप में जितनी बड़ी कविता है,उतनी बड़ी कविता आप पूरी जिन्दगी नहीं लिख सकते ।
जुडाव शब्द कम अर्थ रूप में मुझसे ज्यादा जुड़ा है ।
मोह के साथ जीना मुश्किल होता है लेकिन मोह के बगैर भी जीना आसान नहीं होता ।
हम किसी भी इंसान को अधिकतम तो जान सकते हैं पर पूरी तरह नहीं।
नाम - आरती.............
लेकिन आरती से दूर दूर तक,
कोई वास्ता नहीं,
मनोविज्ञान में ऍमफिल की डिग्री,
है मेरे पास,
लेकिन दूसरो के मन को,
समझना तो दूर रहा,
आज तक नहीं समझ पाई,
अपने ही मन का विज्ञानं,
रूचि लिखने में है,
बचपन से लिख रही हूँ,
लेकिन नहीं लिख पाई,
अभी तक
जिन्दगी का क ख ग भी ,
पढ़ने का भी थोडा-बहुत शौक है,
शायद इसलिए अभी तक अध्ययनरत हूँ,
नहीं, किसी स्कूल-कालेज में नहीं,
जीवन की पाठशाला में,
जीने की कला सीखने के लिए !