कितनी अजीब बात है मेरे माता-पिता इस बात के लिए हद से ज्यादा सतर्क रहते है की मेरे संपर्क में कोई पुरुष [बच्चा ] न आ पाए और विशेष तौर से बिगडैल बच्चे जबकि मैंने अपने जीवन का उद्देश्य बना रखा है - भटके हुए को राह पर लाना ।
नाम - आरती.............
लेकिन आरती से दूर दूर तक,
कोई वास्ता नहीं,
मनोविज्ञान में ऍमफिल की डिग्री,
है मेरे पास,
लेकिन दूसरो के मन को,
समझना तो दूर रहा,
आज तक नहीं समझ पाई,
अपने ही मन का विज्ञानं,
रूचि लिखने में है,
बचपन से लिख रही हूँ,
लेकिन नहीं लिख पाई,
अभी तक
जिन्दगी का क ख ग भी ,
पढ़ने का भी थोडा-बहुत शौक है,
शायद इसलिए अभी तक अध्ययनरत हूँ,
नहीं, किसी स्कूल-कालेज में नहीं,
जीवन की पाठशाला में,
जीने की कला सीखने के लिए !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें