जूझ रहा था जब कोई जिन्दगी और मौत से तुब मैं अपने आप से देखकर बेचैनी मेरी किसी और ने पूंछा मुझसे क्या कोई ख़ास है मैं चुप रहीं बताना जो नहीं चाहती थीं उसे आम कोई होता ही नही मेरे लिए ................. ।
नाम - आरती.............
लेकिन आरती से दूर दूर तक,
कोई वास्ता नहीं,
मनोविज्ञान में ऍमफिल की डिग्री,
है मेरे पास,
लेकिन दूसरो के मन को,
समझना तो दूर रहा,
आज तक नहीं समझ पाई,
अपने ही मन का विज्ञानं,
रूचि लिखने में है,
बचपन से लिख रही हूँ,
लेकिन नहीं लिख पाई,
अभी तक
जिन्दगी का क ख ग भी ,
पढ़ने का भी थोडा-बहुत शौक है,
शायद इसलिए अभी तक अध्ययनरत हूँ,
नहीं, किसी स्कूल-कालेज में नहीं,
जीवन की पाठशाला में,
जीने की कला सीखने के लिए !
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