शनिवार, 10 जनवरी 2009

लिखावट.....

लिखावट

हाथो से
जो नही लिख पाते हम
लिखने की कोशिश करते है 
बहुत बार 
आंसुओ से 
इस आस में 
कि शायद  
लिख जाए कुछ ऐसा 
जो न लिखा गया हो
अब तक 
हमारी किस्मत में...........................!

3 टिप्‍पणियां:

  1. रचना बहुत ही मार्मिक और दिल को छुने वाली है. आशुओं से केवल दिल में दर्द बढता है उसे रोकना हाथो को ही पड़ता है .किस्मत हाथो से ही बनती है आसु से इन्सान कमज़ोर हो जाता है .

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  2. एकदम सच कह दिया आपने......!!(टाइपिंग की अशुद्धियाँ सुधार लें बस....!!)

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  3. sach hai ki likhna kitna katheen hota hai
    par bhagawaan ya prkati kuch ko detee hai taqat likhne ki

    aur kuch ko samjhne ki

    aur kuch ko samjhaane ki taqat

    to phir kuch yesa hona chahiye ki

    samjhne bala samjhe likhne bala likhe aur samjhane wala samjhaye

    hai na

    to main kya likh rahaa tha

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